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Jur Sital 2025: जुड़ शीतल पर्व आज, सत्तू और आम की चटनी के साथ शुरू हुआ मिथिला नववर्ष

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Jur Sital 2025: मिथिला नगरी में जुड़ शीतल पर्व वैशाख की शुरुआत में मनाया जाता है, जिसमें जल की पूजा और सत्तू का सेवन होता है. यह पर्व बच्चों की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण है.

जुड़ शीतल पर्व आज, सत्तू और आम की चटनी के साथ शुरू हुआ मिथिला नववर्ष

Jur Sital 2025: जुड़ शीतल पर्व आज, सत्तू और आम की चटनी के साथ शुरू हुआ मिथिला नववर्ष

हाइलाइट्स

  • मिथिला में जुड़ शीतल पर्व से नववर्ष की शुरुआत.
  • सत्तू और आम की चटनी का प्रसाद तैयार किया जाता है.
  • बच्चों की लंबी आयु के लिए जल की पूजा होती है.

Jur Sital 2025: संस्कृति की असली खूबसूरती उसकी परंपराओं में झलकती है. मिथिला नगरी, जो उत्तर बिहार में स्थित है, आज भी अपनी सांस्कृतिक विरासत को आत्मा की तरह संजोए हुए है. यहां जुड़ शीतल जैसे लोक पर्व न केवल मौसम से, बल्कि जन-जीवन से भी जुड़े हुए हैं. वैशाख की शुरुआत में मिथिलांचल में इस दिन से ही नववर्ष माना जाता है. जुड़-शीतल के इस पर्व में जल की पूजा की जाती है और लोग शीतला देवी से ठंडक और शांति की प्रार्थना करते हैं. यह पर्व दो दिनों तक चलता है. पहले दिन यहां सतुआन मनाया जाता है और दूसरे दिन धुरखेल नामक परंपरा निभाई जाती है.

बता दें इस दिन की खास बात यह है कि इसमें खाने-पीने से लेकर पूजा-पाठ तक हर एक परंपरा लोक जीवन व पर्यावरण से जुड़ी होती है. इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु व परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं. बता दें कि मख्यतौर पर इस दिन सत्तू का सेवन कर गर्मी से राहत पाई जाती है और मिट्टी की होली खेलकर शरीर और मन को ठंडक दी जाती है.

सत्तू और कच्चे आम की चटनी से नववर्ष की शुरूआत
मैथिल नववर्ष ‘जुड़ शीतल’ के दिन पूरे मिथिलांचल में पूजा-पाठ का माहौल होता है. इस दिन सुबह से ही हर घर में महिलाएं सत्तू और कच्चे आम की चटनी प्रसाद के रूप में तैयार करती हैं. खास बात यह है कि इस दिन किसी के घर चूल्हा नहीं जलता बल्कि सब लोग पहले से बना ही बना हुआ ठंडा सत्तू खाते हैं. मान्यताओं के अनुसार इस दिन सत्तू खाने से पूरे साल घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और तो और पेट भी ठंड़ा रहता है.

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बच्चों के लिए भी बेहद खास है यह त्यौहार
जुड़ शीतल का त्योहार बच्चों के लिए भी बहुत खास होता है. इस दिन सुबह-सुबह, सूरज निकलने से पहले, मम्मी या दादी बच्चों के सिर पर धीरे-धीरे पानी डालती हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से बच्चे पूरे साल तंदरुस्त रहते हैं. यह एक आशीर्वाद की तरह होता है, जैसे छठ पूजा में सूरज भगवान को जल चढ़ाया जाता है, वैसे ही जुड़ शीतल में यह पूजा बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है.

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