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Navratri: जब पड़ा था अकाल तब प्रकट हुई थी मां शाकंभरी, राक्षस का वध कर धरती पर लौटाई थी हरियाली, जानें कथा

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Shakambhari Devi Mandir Saharanpur: सहारनपुर के शिवालिक पर्वत में स्थित मां शाकंभरी देवी का मंदिर आस्था और श्रद्धा का एक प्रमुख केंद्र है. यहां हर वर्ष हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं. यह मंदिर अपनी पौराणिक कथा, दिव्य चमत्कार और धार्मिक महत्व के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है.

सहारनपुर: भारत के धार्मिक इतिहास में देवी-देवताओं की कथाएं सदियों से आस्था और श्रद्धा का आधार रही हैं. उनमें से मां शाकंभरी देवी का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है. वे दुर्गा का अवतार मानी जाती हैं और उन्हें पोषण की देवी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में जब पृथ्वी अकाल और सूखे से जूझ रही थी, तब मां शाकंभरी प्रकट हुईं और अपने आंसुओं से वर्षा करके धरती को हरा-भरा किया. उनके द्वारा प्रदान किया गया भोजन और सब्जियां लोगों के लिए जीवनदायिनी बन गईं. इसी कारण वे ‘शताक्षी’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं.
मां शाकंभरी देवी का शक्तिपीठ
उत्तर प्रदेश के पश्चिम में स्थित सहारनपुर जनपद की शिवालिक पहाड़ियों में मां शाकंभरी देवी का मंदिर है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. यह मंदिर सहारनपुर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर बेहट क्षेत्र में स्थित है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है कि माता के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मां शाकंभरी देवी से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीनकाल में दुर्गम नामक राक्षस ने भगवान ब्रह्मा से चारों वेद प्राप्त कर उन्हें छिपा दिया था. इसके कारण धरती पर धर्म समाप्त हो गया और अकाल पड़ गया. वनस्पति समाप्त होने लगी और मानव जीवन संकट में आ गया. देवताओं और ऋषि-मुनियों ने इस संकट से निपटने के लिए माता भगवती की तपस्या की. उनकी गहन साधना से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां शाकंभरी प्रकट हुईं और दुर्गम राक्षस का वध किया. उनके आंसुओं से बाण गंगा फूटी, जिससे वर्षा हुई और पृथ्वी पर जीवन लौट आया.

मां शाकंभरी ने शाकंभरी रूप धारण कर साग, सब्जी और फल उत्पन्न किए. उन्होंने अपनी तीन शक्तियों — भीमा, भ्रामरी और शताक्षी को प्रकट किया और चारों वेद ब्रह्मा जी को लौटाए. यही कारण है कि मां शाकंभरी देवी को दुर्गा का विशेष अवतार माना जाता है.

मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मां शाकंभरी देवी का यह शक्तिपीठ धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं. वे यहां विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना करते हैं और माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस मंदिर की महिमा दुर्गाशप्तशती में भी वर्णित है. श्रद्धालु मानते हैं कि यहां आने से उनके जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होता है.

मां शाकंभरी देवी पीठ के शंकराचार्य महंत सहजानंद के अनुसार, शिवालिक पहाड़ियों में यह मंदिर अनादि काल से है. उन्होंने बताया कि यहां की पौराणिक कथा केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि मानवता, भक्ति और प्रकृति के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है. हर वर्ष यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और देवी के दर्शन कर मन की शांति पाते हैं. इस नवरात्रि आप जरूर माता के दर्शन करने जाए.

Seema Nath

सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने साह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं…और पढ़ें

सीमा नाथ पांच साल से मीडिया के क्षेत्र में काम कर रही हैं. मैने साह टाइम्स, उत्तरांचल दीप, न्यूज अपडेट भारत के साथ ही Bharat.one ( नेटवर्क 18) में काम किया है. वर्तमान में मैं News 18 (नेटवर्क 18) के साथ जुड़ी हूं… और पढ़ें

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