Mahaparva Onam 2025: भारत विविधताओं का देश है, क्योंकि यहां के लोग विभिन्न भाषाएं बोलते हैं. विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं, भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं तथा अलग-अलग पहनावा पहनते हैं. ठीक इसी तरह अलग-अलग त्योहार भी मनाते हैं. भारतीय त्योहारों का अपना महत्व है. हर क्षेत्र में अलग-अलग त्योहार मनाने की परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं. इसी तरह दक्षिण भारत में महापर्व ओणम त्योहार का खासा महत्व है. यह पर्व लगातार 10 दिन चलता है, जोकि होली-दिवाली की तरह ही पूरे जश्न के साथ मनाया जाता है. इस साल महापर्व ओणम 26 अगस्त से शुरू हो चुका है और 5 सितंबर को थिरुवोणम के दिन के साथ समाप्त होगा. अब सवाल है कि आखिर ओणम पर्व कहां मनाया जाता है? ओणम त्योहार मनाने की पैराणिक कथा क्या है? क्यों और कब मनाया जाता है ओणम? आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी जानकारी-
कहां और कैसे मनाते हैं महापर्व ओणम
महापर्व ओणम केरल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. ओणम 10 दिन तक मनाया जाता है. केरलवासी इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं. ओणम त्योहार मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित हैं, जोकि राजा महाबलि से संबंधित है. इस त्योहार के दौरान घरों को पुकलत, पीले फूलों से सजाया जाता है. भोजन में ओणम साध्य परोसा जाता है, जो केले के पत्तों पर 26 व्यंजनों के साथ होता है. घर की महिलाएं सफेद और सुनहरे रंगवाली साड़ी पहनकर तैयार होती हैं और पूजा पाठ करती हैं.
ओणम की दिलचस्प कहानी क्या है
ओणम साध्या या साध्या सिर्फ खाने का नाम नहीं है, ये एक सांस्कृतिक पहचान है. ये मिलजुलकर रहने, राजा महाबलि की मेहमाननवाजी और उनकी वापसी का प्रतीक माना जाता है. इस साल 5 सितंबर को ओणम है और ‘भगवान के अपने देश’ यानी केरल के लोग अपने राजा महाबलि का स्वागत करने और ओणम साध्या के लिए तैयार हैं.
राजा महाबलि और ओणम की कहानी
ओणम का त्योहार राजा महाबलि की कथा पर आधारित है. महाबलि एक दयालु और न्यायप्रिय असुर राजा थे. उनके शासन में सब लोग खुश और संपन्न थे. लेकिन उनकी बढ़ती शक्ति से देवता डर गए और उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी. भगवान विष्णु वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप लेकर महाबलि से तीन पग भूमि मांगने पहुंचे. महाबलि ने बिना सोचे-समझे हामी भर दी.
वामन ने विशाल रूप धारण किया और दो पग में धरती और आकाश नाप लिया. तीसरे पग के लिए महाबलि ने अपना सिर आगे कर दिया. उनकी विनम्रता और वचन पालन से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकेंगे. इसी वार्षिक आगमन को ओणम के रूप में मनाया जाता है.
ओणम साध्या को परोसे जाने वाले व्यंजन
ओणम की दोपहर में एक बड़ी पारंपरिक दावत होती है जिसे साध्या कहते हैं. साध्या का मलयालम में अर्थ है- भोज. इसमें चावल, अलग-अलग तरह की करी और मीठा पायसम सहित लगभग 25 व्यंजन परोसे जाते हैं.
ये हैं कुछ प्रमुख व्यंजन
अवियल- कच्चे केले, सहजन, फलियां, रतालू, गाजर जैसी कई सब्जियों का स्टू, जिसे नारियल और दही के मिश्रण में पकाया जाता है.
पचड़ी- खट्टा-मीठा व्यंजन, जिसमें खीरा, कद्दू या अनानास को दही के साथ पकाकर लाल मिर्च और राई का तड़का लगाया जाता है.
परीप्पू करी- उबली मूंग दाल को मसालों के साथ पकाकर ऊपर से घी, करी पत्ता और राई का तड़का डाला जाता है.
थोरन- बारीक कटी सब्जियां (गाजर, बीन्स या पत्तागोभी) नारियल और हरी मिर्च के साथ भूनकर बनाई जाती हैं.
सांभर- इमली, खास मसालों और कई सब्जियों से बनी चटपटी दाल. इसके साथ रसम भी परोसा जाता है.
ओलन- हल्का और मलाईदार व्यंजन, जिसमें सफेद कद्दू और लाल लोबिया नारियल के दूध व नारियल तेल में पकाए जाते हैं.
पुलिसेरी- हल्की मसालेदार और खट्टी दही करी, जिसे आम या सफेद कद्दू के साथ बनाया जाता है.
कलन- खट्टी और मलाईदार करी, जिसमें दही, कच्चा केला और रतालू मिलाए जाते हैं.
पायसम- साध्या का मीठा अंत. यह खीर जैसी डिश है, जिसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है. जैसे- पलाडा पायसम (चावल के आटे से), परिक्कू प्रथमन (मूंग दाल से), आडा प्रथमन (चावल के आटे से).