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Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष के दौरान हम पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इसके साथ ही कुछ अन्य कार्य भी हैं जिनको करने से पितरों का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है.
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या के बीच के इन 15 दिन में पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. यह समय पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का होता है. मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए सभी प्रकार के अनुष्ठान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे जीवन में परेशानियों का अंत होता है. सुख-समृद्धि बढ़ती है. माना जाता है कि पितृपक्ष में पितर धरती पर आते हैं.
पितृ को प्रसन्न करने के मंत्र
– ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
– ॐ पितृ देवतायै नम:।
– ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
– ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक…और पढ़ें
विभांशु द्विवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के रहने वाले हैं. पत्रकारिता में 5 साल का अनुभव है. इन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर से पत्रकारिता एवं जनसंचार की पढ़ाई की है. पॉलिटिक… और पढ़ें
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.