हिंदू, बौद्ध और दुनिया भर की कुछ अन्य संस्कृतियों के लिए, श्लोक केवल काव्यात्मक छंद नहीं हैं, बल्कि पवित्र ध्वनियां हैं, जो उनके चारों ओर की हवा को सुंदर, शुद्ध और पवित्र ऊर्जा से भर देती हैं. संस्कृत में लिखे गए प्रत्येक श्लोक में एक कंपन होता है, जो ना केवल उच्चारण करने वाले व्यक्ति बल्कि वातावरण को भी प्रभावित करता है. हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर ‘प्रसन्न वदनां, सौभाग्यदां भाग्यदां…’ मंत्र काफी वायरल हो रहा है, जो महालक्ष्मी स्तोत्र से लिया गया है. इस मंत्र को सोशल मीडिया पर रील्स और शॉर्ट वीडियोज में काफी इस्तेमाल किया जा रहा है. आइए जानते हैं इस मंत्र का अर्थ क्या है…
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मंत्र की गूंज सबसे ज्यादा सुनाई दे रही है – ‘प्रसन्न वदनां, सौभाग्यदां भाग्यदां…’। इंस्टाग्राम रील्स से लेकर यूट्यूब शॉर्ट्स तक, हर जगह लोग इस मंत्र को बैकग्राउंड म्यूजिक बनाकर श्रद्धा और भक्ति से जुड़े वीडियो बना रहे हैं. यह पंक्तियां मां लक्ष्मी को समर्पित महालक्ष्मी स्तोत्र का हिस्सा हैं. मान्यता है कि इनका नियमित उच्चारण करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है. दिलचस्प बात यह है कि आज की युवा पीढ़ी, जो सामान्यतः मॉडर्न गानों या डायलॉग्स पर कंटेंट बनाती है, अब इन संस्कृत श्लोकों को भी बड़े चाव से अपना रही है. कई क्रिएटर्स घर की पूजा, दीप प्रज्वलन या त्योहारी सजावट के वीडियो में इस मंत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे यह साफ दिखता है कि भक्ति और आस्था की जड़ें सोशल मीडिया के जमाने में भी उतनी ही मजबूत हैं.

यह है पूरा श्लोक
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्.
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः
सेवितां पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः॥
पहले पंक्ति का अर्थ
यहां हम इस मंत्र का पंक्ति-दर-पंक्ति अर्थ बताते हैं. मंत्र की पहली पंक्ति कहती है ‘वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां’, जिसका अर्थ है ‘मैं उस देवी को नमन करता हूं, जो हाथ में कमल धारण करती हैं, जिनका चेहरा हमेशा प्रसन्न रहता है, और जो लोगों को सौभाग्य और भाग्य का आशीर्वाद देती हैं.
यह मूल रूप से ऊर्जा के गुणों को बताता है, चाहे वह उनके हाथ में कमल हो या लोगों को सौभाग्य का आशीर्वाद देने की उनकी शक्ति.
दूसरी पंक्ति का अर्थ
दूसरी पंक्ति कहती है ‘हस्ताभ्याम अभयप्रदं मणिगणैर् नानाविधैर् भूषितं’, जिसका अर्थ है कि उनके हाथों में निर्भयता प्रदान करने की शक्ति है और वह सभी प्रकार के कीमती रत्नों, गहनों और आभूषणों से सजी हुई हैं.
यह पंक्ति उनकी शक्ति और उनके रूप के बारे में है, जो रत्नों से ढकी हुई हैं और लोगों को मानसिक शक्ति का आशीर्वाद देती हैं.
तीसरी पंक्ति का अर्थ
तीसरी पंक्ति कहती है ‘भक्ताभीष्टफलप्रदं हरि-हर-ब्रह्मादिभिः सेवितं’ जिसका अर्थ है कि जो भी भक्त उनके प्रति श्रद्धा से प्रार्थना करता है, उसे इच्छित फल या कार्य का फल प्राप्त होता है, और देवी की पूजा ब्रह्मा, विष्णु और शिव भी करते हैं.
यह दिखाता है कि देवी को अन्य देवताओं द्वारा भी उच्चतम सम्मान दिया जाता है, और वह वास्तव में लोगों को उनके कार्य और प्रयासों के लिए आशीर्वाद दे सकती हैं.
अंतिम पंक्ति का अर्थ
अंतिम पंक्ति कहती है ‘पार्श्वे पंकज-शंख-पद्म-निधिभिर्-युक्तं सदा शक्तिभिः’, जिसका अर्थ है कि देवी समृद्धि के प्रतीकों से घिरी हुई हैं. वहां कमल, शंख, खजाना और अधिक हैं और उनके चारों ओर हर प्रकार की ऊर्जा और शक्ति है जो सकारात्मक, उत्थानकारी और उनके भक्तों के लिए लाभकारी है.
यह पंक्ति बताती है कि वह इतनी दिव्य हैं कि वह कई ऊर्जाओं का स्रोत हैं, चाहे वह स्वास्थ्य, धन या शक्ति के रूप में हो, और लोगों को समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
इस तरह करें मंत्र का जप
कमलगट्टे की माला से इस मंत्र का जप करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. इस श्लोक को आमतौर पर देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों से जोड़ा जाता है. वह शंख धारण करती हैं, लोगों को समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं, उनके चारों ओर खजाना होता है अन्य देवताओं द्वारा पूजा की जाती हैं. यहां तक कि अनुष्ठानों या पूजा के अलावा, यह श्लोक समृद्धि और निर्भयता के लिए एक सुंदर दैनिक पुष्टि है.