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Haridwar News: नवरात्रि के दिन 5, 7, 9, 11 आदि कितनी कन्याओं का पूजन करना श्रेष्ठ होता है और कन्याओं की संख्या कम या ज्यादा होने पर कैसे देवी प्रसन्न होंगी यह सवाल सभी के मन में रहता है.
हरिद्वार: जैसे नवरात्रि के नौ दिनों में आदिशक्ति के नौ रूपों की आराधना, पूजा पाठ की जाती है वैसे ही आखिरी दिनों में कन्या पूजन करके नवरात्रि का समापन किया जाता है. नवरात्रि यानी 9 रात्रि तक देवी दुर्गा की आराधना भक्ति भाव और पवित्रता के साथ की जाती है. प्राचीन समय से ही आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के व्रत किए जाते हैं. बदलते समय के साथ अधिकतर लोग देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक व्रत करते हैं. नवरात्रि समापन यानी नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करना अनिवार्य होता है, लेकिन इस दिन एक साथ कन्याओं का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है. नवरात्रि के दिन 5, 7, 9, 11 आदि कितनी कन्याओं का पूजन करना श्रेष्ठ होता है और कन्याओं की संख्या कम या ज्यादा होने पर कैसे देवी मन प्रसन्न होंगी? यह सवाल सभी के मन में रहता है, तो चलिए जानते हैं इसका उपाय…
नवरात्रि के आखिर दिन यानी नवमी के दिन आदिशक्ति की पूजा अर्चना आराधना हवन यज्ञ आदि करने के बाद कन्या पूजन करना अनिवार्य होता है नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिससे नवरात्रि के व्रत का संपूर्ण फल मिलता है. यदि इस दिन ज्यादा कन्याएं आ जाएं तो सभी का सम्मान करना चाहिए और उन्हें एक समान भोजन, दक्षिणा, उपहार देना चाहिए.
कन्या न मिलने पर कैसे करें पूजा
व्रत समापन के दिन यदि 9 कन्याएं ना मिलें, तो जितनी भी कन्याएं उपलब्ध हों उनका पूजन श्रद्धा भक्ति भाव और देवी के रूप में करना चाहिए. कन्याओं की संख्या पूरी करने के लिए जितनी कन्याएं कम हैं उनका भोजन और अपनी श्रद्धा अनुसार उपहार, दक्षिणा उनके घर भिजवा दें जिससे नवरात्रि का संपूर्ण फल प्राप्त होगा.
10 साल से कम की कन्याएं