छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर अग्रेशन चौक में पिछले 40 सालों से एक बुजुर्ग विनोद गुप्ता पुरानी तकनीक से भूंजा चना तैयार कर रहा है, लकड़ी जलाकर चूल्हे पर चना बादाम और मुर्रा मिलाकर जो स्वाद तैयार होता है उसकी खुशबू और क्रंच लोगो को बार बार यहां खींच लाती है, यही वजह है कि रायपुर बिलासपुर समेत अन्य शहरों से आने वाले लोग भी भूंजा चना का स्वाद चखने के लिए खास तौर पर पहुंचते है.
पुरानी तकनीक, अनोखा स्वाद
अग्रसेन चौक पर बुजुर्ग लकड़ी के चूल्हे पर पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए चना भूंजते हैं. इसमें चना, बदाम, चुना और मुर्रा को खास अंदाज में मिलाकर भुना जाता है, जिससे इसका स्वाद नमकीन और लाजवाब बन जाता है. ग्राहक की पसंद के अनुसार चना भूंजकर दिया जाता है, जिसे यहां के लोग प्यार से “भूंजा चना” कहते हैं.
40 साल पुराना ठेला, बरकरार स्वाद
Bharat.one से बातचीत में अग्रसेन चौक के मेडिकल व्यवसायी संजय अग्रवाल ने बताया कि वे पिछले 20 वर्षों से यहां मेडिकल चला रहे हैं और इस रास्ते से रोज़ाना आते-जाते रहते हैं. वे बताते हैं कि पिछले 40 वर्षों से इस बुजुर्ग को इसी चौराहे पर ठेला लगाते देख रहे हैं. शुरुआत में वे चाय बेचते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने चना बेचना शुरू किया, जो आज उनकी पहचान बन चुका है.
आंधी, बारिश और ठंड में भी जारी सेवा
65 वर्षीय बुजुर्ग की सबसे खास बात यह है कि वे हर मौसम में अपने काम पर डटे रहते हैं. चाहे आंधी हो, बारिश हो या ठंड की ठिठुरन वे चौराहे पर रोज़ाना मौजूद रहते हैं. यही उनकी मेहनत और लगन है, जिसने “भूंजा चना” को अग्रसेन चौक की पहचान बना दिया है.
देशभर से लोग आते हैं स्वाद चखने
यहां तक कि रायपुर, बिलासपुर और अन्य शहरों से होटल में रुकने वाले लोग भी इस भूंजा चना के स्वाद से खुद को रोक नहीं पाते. कई स्थायी ग्राहक रोज़ाना यहां पहुंचकर अपना पसंदीदा चना भूंजवाते हैं. लकड़ी की आंच पर तैयार किया गया यह चना न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक नहीं माना जाता.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-vinod-has-been-serving-the-taste-of-bhunja-chana-to-people-for-the-last-40-years-at-agrasen-chowk-taste-is-still-same-local18-9584001.html