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भीलवाड़ा में कटिहार से आए सनवर आलम बिहार के पश्चिमी चंपारण के मसालों से बना नॉनवेज परोस रहे हैं, जो फूड लवर्स की पहली पसंद बन गया है और डिमांड लगातार बढ़ रही है.
भीलवाड़ा. भीलवाड़ा में सर्दी का मौसम अब पूरी तरह परवान पर है और ठंड बढ़ते ही लोगों के खानपान में भी बदलाव साफ नजर आने लगा है. सर्दियों में गर्म और स्वादिष्ट भोजन की मांग बढ़ जाती है और ऐसे में भीलवाड़ा के लोगों के बीच बिहार का नॉनवेज खासा लोकप्रिय हो रहा है. शहर में बिहार से आया एक युवक अपने देसी अंदाज में बिहार के फेमस नॉनवेज का स्वाद लोगों तक पहुंचा रहा है.
खास बात यह है कि यह स्वाद बिहार के पश्चिमी चंपारण के मशहूर नॉनवेज को भी टक्कर दे रहा है. यहां लोगों को एक या दो नहीं, बल्कि कई तरह की नॉनवेज वैरायटी चखने को मिल रही है. ठंड के मौसम में मसालों और देसी तड़के से तैयार यह नॉनवेज भीलवाड़ा के फूड लवर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है.
बिहार के स्वाद ने जीता भीलवाड़ा का दिल
सनवर आलम ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से भीलवाड़ा में नॉनवेज का स्वाद लोगों तक पहुंचा रहे हैं. करीब 5 से 6 साल पहले वह बिहार के कटिहार जिले से भीलवाड़ा आए थे. यहां आकर उन्होंने देखा कि भीलवाड़ा के लोगों में नॉनवेज को लेकर खासा क्रेज है. इसके बाद उन्होंने बिहार के पश्चिमी चंपारण से नॉनवेज बनाना सीखा और यहां के लोगों को बिहार के देसी नॉनवेज का स्वाद देने का फैसला किया. उनके यहां फिश, चिकन और मटन की कई वैरायटी उपलब्ध हैं, जो लोगों की पहली पसंद बन चुकी हैं. इन सभी डिश में खास तौर पर बिहार के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे स्वाद बिल्कुल अलग और देसी लगता है. सर्दी के मौसम में शाम होते ही उनके स्टॉल पर लोगों की भीड़ जमा हो जाती है.
छोटे स्तर से हुई शुरुआत, अब बढ़ती जा रही डिमांड
सनवर आलम का कहना है कि उन्होंने भीलवाड़ा में नॉनवेज की शुरुआत छोटे स्तर से की थी. धीरे-धीरे लोगों को उनका नॉनवेज इतना पसंद आने लगा कि इसकी मांग लगातार बढ़ती चली गई. भीलवाड़ा के लोगों द्वारा सबसे ज्यादा रोस्टेड चिकन, चिकन फ्राई, फ्राई फिश, चिकन तंदूरी, मुर्गा, बटर चिकन, हांडी चिकन और फिश की अलग-अलग वैरायटी पसंद की जाती हैं. उनका कहना है कि उनके नॉनवेज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि हर डिश में बिहार के पारंपरिक मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लोगों को बिहार के असली स्वाद का एहसास होता है. नॉनवेज बनाने की यह कला उन्होंने बिहार के पश्चिमी चंपारण से सीखी है और वहीं के अनुभव के साथ भीलवाड़ा में आकर यहां के नॉनवेज को एक अलग पहचान दे रहे हैं.
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नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
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