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टेंपरेरी नहीं परमानेंट समाधान की जरूरत, DSS सिस्टम से पता चल जाती है पॉल्यूशन की वजह.. फिर सरकार को क्यों आ रही है दिक्कत

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दिल्ली: दिल्ली-NCR एक बार फिर से हर साल की तरह हवा में घुले जहर से जूझ रहा है. जहां लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है. वहीं सरकार भी लगातार पॉल्यूशन कम करने के लिए कभी आर्टिफिशियल रेन पर विचार कर रही है तो कभी कई तरह की और तकनीकों का इस्तेमाल करके दिल्ली-NCR का प्रदूषण कम करने का लगातार प्रयास कर रही है.

प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार की इन्हीं अलग-अलग योजनाओं और कई और तरीकों पर जब हमने देश के टॉप एनवायरमेंटलिस्ट सुनील दहिया जो कि दिल्ली-NCR के Enviro Catalysts संस्था के संस्थापक हैं. यह संस्था देश-दुनिया के एनवायरनमेंट पर नई तरह की रिसर्च और डाटा एकत्रित करती रहती हैं. इसके अलावा वह सेंटर फॉर रिसर्च एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) को सह-संस्थापक सदस्य भी रह चुके हैं और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के स्ट्रैटेजिक और रिसर्च एनालिस्ट के रूप में उन्हें 14 वर्षों से ज्यादा का अनुभव है.

टेंपरेरी नहीं परमानेंट सॉल्यूशन की जरूरत
सुनील ने पहले कहा कि इस वक्त सरकार जिन भी तरह की तकनीक का इस्तेमाल करके दिल्ली-NCR का प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रही है वह सब टेंपरेरी सॉल्यूशन है और इससे ज्यादा देर तक आप पॉल्यूशन को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर उन्होंने पहले यह कहा कि सरकार आर्टिफिशियल रेन करवाने के ऊपर काफी विचार कर रही है लेकिन इससे कुछ घंटे के लिए ही पॉल्यूशन पर कंट्रोल पाया जा सकता है और जैसे ही आर्टिफिशियल रेन बंद होगी उसके चार से पांच घंटे के बाद वापस से पॉल्यूशन लेवल उतना ही हो जाएगा जितना पहले था.

वहीं आगे उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण इंडस्ट्री की वजह से हो रहा है. उसके बाद जिस तरह से कंस्ट्रक्शन का बिजनेस दिल्ली-NCR में बढ़ रहा है, वह भी एक बड़ी वजह बन रहा है. गाड़ियों से होने वाला पॉल्यूशन और अलग-अलग तरह से इस्तेमाल की जाने वाली एनर्जी से भी दिल्ली-NCR में प्रदूषण बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब चीजों की खपत हमें दिल्ली-NCR में कम करनी पड़ेगी, जिससे हम पॉल्यूशन लेवल कम कर सकते हैं.

उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि इस वक्त जिन जगहों पर ज्यादा गाड़ियां चल रही है और वहां पर अगर लोग चलकर जा सकते हैं और दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ रहा है तो सरकार को इन सभी जगह पर लोगों को पैदल चलने की और अग्रसर करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा लोग साइकिल का इस्तेमाल कर सके इसकी और भी सरकार का प्रयास होना चाहिए. उनका कहना था कि यह सिर्फ एक उदाहरण है जिससे हम जिन चीजों की सबसे ज्यादा खपत कर रहे हैं जैसे की गाड़ियां उनका इस्तेमाल कम कर के पॉल्यूशन लेवल को कंट्रोल में ला सकते हैं और ऐसा ही हम बाकी चीजों में भी कर सकते हैं.

DSS सिस्टम और दिक्कतें
सुनील ने बताया कि इस वक्त सरकार के पास डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) है. जिसकी मदद से सरकार को 3 दिन पहले ही यह साफ पता लग जाता है कि किस जगह पर, किस वजह से पॉल्यूशन होने वाला है. उनका कहना था कि यह सिस्टम डाटा, मॉडल्स और एनालिटिकल टूल्स की मदद से सब चीजों का पता लगा लेता है और यह एक कंप्यूटर बेस्ड एप्लीकेशन है. इस सिस्टम के बावजूद भी सरकार पॉल्यूशन लेवल को कंट्रोल नहीं कर पा रही है उसके पीछे साफ बड़ी वजह यह है कि सरकार को कुछ नई चीज करनी पड़ेगी. जिससे करने से वह डर रही है.

उनका कहना था कि उदाहरण के तौर पर सरकार को यदि पता लग जाता है कि इस वक्त दिल्ली-NCR में इंडस्ट्री से निकल रहा पॉल्यूशन इस जगह सबसे ज्यादा हवा को प्रदूषित कर रहा है तो उन्हें इंडस्ट्री को यह कहना पड़ेगा कि इंडस्ट्री कुछ देर के लिए, कुछ दिन के लिए, या फिर कुछ घंटे के लिए बंद कर दी जाए लेकिन सरकार इस डिसीजन को लेने में अभी इतनी कंफर्टेबल नहीं है. इसलिए वह यह सब नहीं कर रही है.

उन्होंने एक और उदाहरण देते हुए यह भी कहा कि सरकार एक और चीज भी कर सकती है यदि उनको यह लगता है कि गाड़ियों के चलने से ऑपरेशन लेवल और बढ़ सकता है तो वह दिल्ली में कई जगहों पर गाड़ियों को बंद करके वहां पर साइकिल और लोगों को पैदल चलने के लिए बोल सकती है. लेकिन इससे भी सरकार बचती है क्योंकि उस जगह के व्यापारी इसका विरोध करेंगे और सरकार को एक नई मुश्किल का सामना करना पड़ेगा. इसलिए सरकार इस चीज से भी बचती है. इन कुछ परमानेंट सॉल्यूशन की और ही सरकार को जाना पड़े का और इन्हीं से पॉल्यूशन काम हो सकता है क्योंकि हम इन्हीं सब चीजों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.


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https://hindi.news18.com/news/delhi-ncr/dss-system-lets-us-know-cause-pollution-still-why-is-the-government-facing-problems-environmentalist-sunil-dahiya-explain-local18-9783426.html

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