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4-6 Rule for ease anxiety: आज के समय में हर कोई परेशान रहता है. लोगों के जीवन में इतना तनाव हो गया है कि बेचैनी बढ़ गई है. एंग्जाइटी काफी परेशान करने लगी है. यह एंग्जाइटी कई बीमारियों की जड़ है. इसलिए यदि आपको खुश रहना है, सेहतमंद रहना है तो आपको हर हाल में जीवन से एंग्जाइटी या बेचैनी को कम करना होगा. 4-6 का फॉर्मूला इस एंग्जाइटी से बचने के लिए बेहद कारगर साबित हो रहा है.आखिर यह है क्या, आएं इसके बारे में जानते हैं.
4-6 Rule for ease anxiety: आज की जिंदगी बेहद भाग-दौड़ भरी जिंदगी है. हर इंसान एक-दूसरे से आगे बढ़ने के लिए बेचैन रहता है. इसके अलावा जीवन में तनाव इतना है कि हर इंसान अपने आप में परेशान रहता है. यही कारण है कि आज के दौर में अधिकांश लोग एंग्जाइटी या बेचैनी से परेशान रहते हैं. कुछ भी परेशानी आई कि वे बेचैन होने लगते हैं. घबराहट बढ़ जाती है. तनाव चरम पर पहुंच जाती है. इससे शरीर के अंदर कार्टसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो कई साइलेंट बीमारियों शरीर में पनपती रहती है. ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए एंग्जाइटी को कम करना बहुत जरूरी है. इसके लिए आजकल 4-6 का फॉर्मूला बेहद कामयाब माना जाता है. 4-6 का फॉर्मूला क्या है, आइए जानते हैं.
क्या है 4-6 का फॉर्मूला
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में साइकोथेरेपिस्ट देलन्ना राजेश कहते हैं कि एंग्जाइटी को कम करने के लिए अक्सर लोग गहरी सांस लेने को कहते हैं. लेकिन कई लोगों के लिए ऐसा करना उल्टा असर कर सकता है. दरअसल, जब सीने में जकड़न महसूस होती है तो ज़ोर से गहरी सांस लेना घबराहट को और बढ़ा सकता है. इससे नर्वस सिस्टम को लगता है कि खतरा और बड़ा है. इसलिए असली रीसेट सांस लेने में नहीं, बल्कि सांस छोड़ने में है. यहीं 4-6 का फॉर्मूला काम आता है. साइकोथेरेपिस्ट धरा घुंतला कहती हैं कि जबरदस्ती गहरी सांस लेने से नर्वस सिस्टम अलर्ट मोड में आ जाता है.इसलिए इसकी जगह 6 गिनती तक धीरे-धीरे सांस छोड़ें और फिर 4 गिनती तक हल्के से सांस लें. यहीं 4-6 का फॉर्मूला है.
4-6 फॉर्मूले को कैसे करें?
इसमें 6 तक गिनते हुए पूरी सांस धीरे-धीरे छोड़ें. फिर 4 तक गिनते हुए हल्के से सांस लें. इसे कम से कम 5 बार दोहराएं. लंबी सांस छोड़ने से दिमाग और शरीर को संदेश मिलता है कि आप सुरक्षित हैं. इससे तनाव कम होता है और तेज चल रहे विचार धीमे होने लगते हैं. देलन्ना कहते हैं कि इसका असर तुरंत महसूस किया जा सकता है.तीसरे चक्र तक सीने की जकड़न कम होने लगती है और हाथ कांपना रुक सकता है. विचारों की गति धीमी होने लगती है. हालांकि एग्जाइटी पूरी तरह गायब नहीं होती, लेकिन शरीर को सुरक्षित महसूस होने लगता है और दिमाग भी शांत होने लगता है.देलन्ना कहती हैं कि 4-6 नियम जादू नहीं है यह जीवविज्ञान है. यह बिना ज्यादा सोचे, बिना ज़्यादा कोशिश के एंग्जाइटी से बाहर लाता है. इसलिए जब अगली बार एंग्जाइटी आए तो ज़्यादा हवा खींचने की कोशिश न करें सांस को लंबा, हल्का और धीमा छोड़ें. पहले शरीर शांत होता है, फिर दिमाग खुद-ब-खुद उसका अनुसरण करता है.
एंग्जाइटी दूर करने का एक और आसान ट्रिक
इसके लिए एक फॉर्मूला यह है कि अपनी आंखों को दाएं-बाएं घुमाएं. यह ब्रेन के खास हिस्सों में नींद जैसा प्रभाव बनाता है और शरीर को रिलैक्स होने का संकेत देता है. यह भी ध्यान रखें कि एंग्जाइटी किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकती है.यह कमजोरी नहीं है. यह शरीर को अधिक सतर्क करती है. इसलिए इसे दूर करना बहुत जरूरी है वरना आगे कई समस्या खड़ी हो सकती है.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at Bharat.one. His role blends in-dep…और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-want-to-get-rid-of-anxiety-follow-4-6-rules-to-ease-depression-ws-en-9823784.html
