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यंग जेनरेशन की महिलाओं पर स्मार्ट फोन का खतरनाक असर, रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा, ये है बचने का तरीका

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Smartphone impact on Young Women: एक अध्ययन में पाया गया है कि यंग महिलाओं पर स्मार्टफोन का बेहद बुरा असर होता है. इससे सोशल एंग्जाइटी बढ़ रही है. इसका बुरा परिणाम सामने आता है.

यंग जेनरेशन की महिलाओं पर स्मार्ट फोन का खतरनाक असर, रिसर्च चौंकाने वाला

स्मार्टफोन का यंग महिलाओं पर प्रभाव.

Smartphone impact on Young Women: एक नए अध्ययन में पता चला है कि यंग महिलाओं में स्मार्टफोन की बुरी लत लग गई है जिसका उसकी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है. अध्ययन में पाया गया है कि स्मार्टफोन की लत के कारण यंग महिलाओं में सोशल एंग्जाइटी सबसे बड़ी चिंता की बात है. सोशल एंग्जाइटी का मतलब है कि हर समय यंग महिलाओं को लगता है कि उसपर समाज की हरदम नजर रहती है. यानी कोई उसके स्टाइल, कोई उसके चाल-चलन, कोई उसके फैशन या किसी भी तरह की हरकत पर जज कर रहा है. वह हर वक्त ऐसा ही सोचती हैं कि हममर उनकी नजर अच्छी है या बुरी है. सोशल मीडिया पर भी अगर उसे कोई कमेंट करता है तो उसे वह गंभीर मान लेती है और उसपर अपने मन में तरह-तरह के विचार पाल लेती है. इससे मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है.

ऑनलाइन बुरा समझने का डर ज्यादा
यह अध्ययन मैड्रिड के यूरोपियन साइकेट्रिक एसोसिएशन कांग्रेस 2025 में पेश किया गया है. इसमें बताया गया कि किस स्मार्टफोन का प्रभाव यंग जेनरेशन की फीमेल पर ज्यादा पड़ रहा है. युवतियां विशेष रूप से सोशल एंग्जाइटी की शिकार हो रही हैं. शोध में कहा गया है कि जेंडर का सीधा संबंध इस बात से है कि व्यक्ति स्मार्टफोन पर कितना समय बिताता है और उसे ऑनलाइन दूसरों के द्वारा बुरा समझे जाने का कितना डर रहता है. रुमानिया के जॉर्ज एमिल पालाडे यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में कार्यरत और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. सिबी सैंडोर ने कहा कि यह नतीजे दिखाते हैं कि दोनों जेंडर के बीच बड़ा अंतर है क्योंकि महिलाएं स्मार्टफोन के कारण मानसिक रूप से अधिक प्रभावित हो रही हैं.

स्मार्टफोन से तय करती है अपना फैसला
शोध में यह भी सामने आया कि सोशल मीडिया पर बातचीत की आदत, भावनाओं को समझने में कमी और दूसरों से मिलने वाला सहयोग, ये सब स्मार्टफोन की लत से प्रभावित हो सकते हैं. डॉ. सैंडोर ने कहा, इन पहलुओं पर और शोध करना जरूरी है ताकि हम समझ सकें कि अलग-अलग जेंडर्स में यह व्यवहार क्यों होता है और किस तरह से उनकी मदद की जा सकती है. इस अध्ययन की सह लेखिका नेहा पीरवानी ने बताया कि पहले से ही कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल मानसिक परेशानी, खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति और आत्महत्या जैसे खतरों से जुड़ा हुआ है. प्रोफेसर डॉम ने यह भी कहा कि इस विषय पर और ज्यादा ध्यान देना जरूरी है, ताकि इसके नुकसान को समय रहते रोका जा सके.

तत्काल ध्यान देने की जरूरत है
इस अध्ययन में 400 युवा शामिल थे, जिनकी औसत उम्र लगभग 26 साल थी. इनमें 104 पुरुष, 293 महिलाएं और 3 अन्य जेंडर के लोग शामिल थे. हंगरी की एटोवोस लोरेन्ड यूनिवर्सिटी से शोध की सह-लेखिका नेहा पीरवानी ने कहा, हमारे नतीजे पहले हुए अध्ययनों की पुष्टि करते हैं कि महिलाएं स्मार्टफोन की लत के कारण ज्यादा परेशान होती हैं, इसलिए उन्हें ज़्यादा ध्यान, मार्गदर्शन और मदद की जरूरत होती है.” उन्होंने यह भी जोड़ा, “हम इस दिशा में और गहराई से काम कर रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी में इसके कारण और असर को समझा जा सके और सही कदम उठाए जा सकें. ईपीए के अध्यक्ष प्रोफेसर गीर्ट डॉम ने कहा कि जनरेशन जी के लगभग 100 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं.

इनपुट-आईएएनएस

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