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आयुर्वेद में काली मिर्च सिर्फ़ मसाला नहीं बल्कि एक शक्तिशाली औषधि मानी जाती है. इसके इस्तेमाल से न केवल वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द, सर्दी-जुकाम, खांसी जैसी समस्याओं में भी लाभ मिलता है. इसके साथ ही यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर सेहत को सुधारने में भी कारगर साबित होती है.
भारतीय घरों की रसोई में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च केवल स्वाद बढ़ाने का काम ही नहीं करती, बल्कि आयुर्वेद में इसे औषधि के रूप में भी जाना जाता है. यह खाने में तीखी और गर्म होती है और शरीर में वात और कफ दोष को संतुलित रखने में मदद करती है. इसके नियमित उपयोग से पाचन तंत्र मजबूत रहता है और कई बीमारियों से सुरक्षा मिलती है.
वैद्य उमाशंकर बताते हैं कि काली मिर्च रसोई में सिर्फ एक मसाला नहीं है, बल्कि यह शरीर में वात और कफ दोष को संतुलित रखने में भी मदद करती है. इसके नियमित इस्तेमाल से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और वजन घटाने सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक प्रभाव देखने को मिलता है.
वैद्य उमाशंकर बताते हैं कि लोग वजन घटाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन अगर रसोई में काली मिर्च को नियमित रूप से शामिल किया जाए तो वजन कम करने में मदद मिलती है. काली मिर्च शरीर में उन कोशिकाओं को सक्रिय करती है जो वजन बढ़ाने में सहायक होती हैं, और उन्हें फैलाकर वजन घटाने की प्रक्रिया को आसान बनाती है.
वैद्य उमाशंकर बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ अक्सर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना आम है, लेकिन यदि रसोई में रखी यह शक्तिशाली औषधि नियमित रूप से इस्तेमाल की जाए तो जोड़ों का दर्द, शरीर के अंदरूनी दर्द और सूजन कम हो जाती है. उनका कहना है कि इसके छोटे आकार के बावजूद इसके लाभ कई गुना अधिक होते हैं.
वैद्य उमाशंकर बताते हैं कि बच्चों और बड़ों में मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम होना आम है. आयुर्वेद में यह शक्तिशाली औषधि, जिसे मरिच कहा जाता है, गले की सूजन, बलगम, सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है. इसके प्रयोग से गला साफ रहता है और बलगम बाहर निकलने में आसानी होती है.
वैद्य उमाशंकर बताते हैं कि काली मिर्च का नियमित प्रयोग फेफड़ों की समस्याओं में बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों के फेफड़ों में कफ जमने या श्वास नली में रुकावट होने की समस्या होती है, उनके लिए यह औषधि कारगर साबित होती है. काली मिर्च श्वास नालियों को साफ कर उन्हें बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करती है.
आयुर्वेद में काली मिर्च का उपयोग करते समय कुछ सावधानियों का पालन करना बेहद जरूरी है. इसका स्वभाव गर्म होता है, इसलिए पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों को इसे प्रयोग करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है. काली मिर्च एक शक्तिशाली औषधि है जो कई रोगों में लाभदायक है, लेकिन गलत इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं.
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