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Cortisol Hormone Symptoms Causes and Natural Remedies | कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने से किन बीमारियों का खतरा बढ़ता है

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Cortisol Hormone Risks: कार्टिसोल हार्मोन शरीर में तनाव होने पर रिलीज होता है. अगर यह हार्मोन लंबे समय तक बढ़ा रहे तो हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज और मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. यही वजह है कि इसे कंट्रोल रखना बहुत जरूरी है. दिनभर में 7-8 घंटे की नींद लेना कार्टिसोल हार्मोन को बैलेंस करने में मदद करता है.

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कार्टिसोल हार्मोन कम करने के लिए रोज 7-8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लें.

Ways to Reduce Cortisol Hormone: हमारे शरीर में कई हार्मोन रिलीज होते हैं, जिनका अलग-अलग काम होता है. कई हार्मोन हमें अच्छा फील करवाते हैं, तो कुछ हार्मोन बढ़ने से समस्याएं पैदा होने लगती हैं. एक ऐसा ही हार्मोन कार्टिसोल (cortisol) है. इसे स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है, क्योंकि यह तनाव के समय शरीर में सबसे ज्यादा रिलीज होता है. यह एड्रिनल ग्रंथियों द्वारा रिलीज होता है और शरीर में एनर्जी लेवल को बनाए रखने, सूजन को कंट्रोल करने और मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करने में मदद करता है. हालांकि जब कार्टिसोल का स्तर लंबे समय तक ज्यादा बना रहता है, तो यह शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. इससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और इस वजह से कार्टिसोल हार्मोन को कंट्रोल रखना जरूरी होता है.

हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक अगर शरीर में कार्टिसोल का स्तर लगातार हाई बना रहे, तो इससे हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज, मोटापा, स्ट्रोक और हार्ट डिजीज जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. यह इम्यून सिस्टम को भी कमजोर करता है, जिससे बार-बार बीमार पड़ने का रिस्क बढ़ जाता है. इस हार्मोन के हाई रहने से हड्डियों का कमजोर होना, नींद न आना और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं. लगातार तनाव, नींद की कमी, अत्यधिक कैफीन का सेवन, असंतुलित खानपान और ज्यादा वर्कलोड जैसी वजहें कार्टिसोल स्तर को असंतुलित करती हैं. सुबह के समय कार्टिसोल का स्तर स्वाभाविक रूप से अधिक होता है, लेकिन जब यह पूरे दिन ज्यादा बना रहता है, तो समस्या बन जाती है. क्रॉनिक स्ट्रेस इसका प्रमुख कारण है.

अब सवाल है कि कार्टिसोल का स्तर कम करने के लिए क्या करना चाहिए? हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस हार्मोन को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका तनाव को कम करना है. इसके लिए मेडिटेशन, योग, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और रेगुलर एक्सरसाइज करना फायदेमंद है. पर्याप्त नींद लेना और मोबाइल स्क्रीन से दूरी बनाने से भी कार्टिसोल हार्मोन कम होता है. दिनभर में 7-8 घंटे की नींद लेने से कार्टिसोल को बैलेंस करने में मदद मिलती है. कार्टिसोल कंट्रोल करने के लिए हेल्दी डाइट जरूरी है. अखरोट, अलसी के बीज, मछली, संतरा, ब्रोकली, पालक जैसे फूड्स तनाव को कम करने में मदद करते हैं. कैफीन और प्रोसेस्ड शुगर का सेवन कम करें, क्योंकि ये कार्टिसोल को बढ़ा सकते हैं.

अगर लगातार थकान, चिड़चिड़ापन, वजन बढ़ना या नींद न आना जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो डॉक्टर से हॉर्मोन टेस्ट कराना चाहिए. जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग या स्ट्रेस थेरेपी ली जा सकती है. जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल से कार्टिसोल स्तर को संतुलित रखा जा सकता है. इसे अगर आप कंट्रोल नहीं करेंगे, तो भविष्य में किसी बीमारी को जन्म दे सकता है और गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्…और पढ़ें

अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्… और पढ़ें

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कार्टिसोल हॉर्मोन बढ़ने से किन बीमारियों का बढ़ता है खतरा? इसे कैसे करें कम


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