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बिनसर से कालीमठ तक…… उत्तराखंड के वो स्थल जहां आज भी महसूस होती है अलौकिक शक्ति, जानें जगह – Uttarakhand News

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Spiritual Places in Uttarakhand: उत्तराखंड अपने अनोखे आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. अल्मोड़ा के बिनसर महादेव और कसार देवी मंदिर ध्यान और साधना के लिए खास माने जाते हैं. रुद्रप्रयाग का कोटेश्वर महादेव, कार्तिक स्वामी, कालीमठ शक्तिपीठ और जोशीमठ का नरसिंह मंदिर श्रद्धा और शांति का अद्भुत अनुभव कराते हैं. आइए, इन प्रमुख स्थलों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में रुद्रप्रयाग-पोखारी मार्ग पर कनकचौरी गांव के पास स्थित है. गांव से 3 किलोमीटर का हल्का पैदल रास्ता आपको कार्तिक स्वामी मंदिर की अद्भुत सुंदरता से रूबरू कराता है. कार्तिक स्वामी मंदिर भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है, जिन्होंने अपने पिता के प्रति अपनी भक्ति के प्रमाण के रूप में अपनी अस्थियां अर्पित की थीं. ऐसा माना जाता है कि यह घटना यहीं घटी थी. भगवान कार्तिक स्वामी को दक्षिणी भारत में कार्तिक मुरुगन स्वामी के नाम से भी जाना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को एक अलौकिक शक्ति महसूस होती है.

बिनसर महादेव मंदिर उत्तराखंड का प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो घने देवदार, पाइन और ओक के जंगलों के बीच स्थित है. 9वीं–10वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर राजा पिठ्ठ ने अपने पिता बिंदु की स्मृति में बनवाया था, जिसे बिंदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर अपनी स्थापत्य कला, दिव्यता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यहां गणेश, हर गौरी और महेशमर्दिनी की प्राचीन मूर्तियां हैं, जिनमें महेशमर्दिनी की प्रतिमा नागरी लिपि में उत्कीर्ण शिलालेख के साथ विशेष महत्व रखती है. यह स्थान लोगों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है.

कोटेश्वर महादेव मंदिर, अलकनंदा नदी के पावन तट पर स्थित भगवान शिव का एक पवित्र स्थल है. रुद्रप्रयाग शहर के निकट स्थित यह मंदिर एक गुफा में स्थित है, जहां से अलकनंदा नदी कुछ ही मीटर की दूरी पर बहती है. किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव ने केदारनाथ जाते समय यहीं ध्यान किया था. दूर-दूर से तीर्थयात्री भगवान शिव का आशीर्वाद लेने कोटेश्वर महादेव मंदिर आते हैं, जो चमत्कारी शक्तियों का अहसास कराता है.

काकड़ीघाट, अल्मोड़ा (उत्तराखंड) का एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थल है. यह कोसी और सिरौता नदियों के संगम पर स्थित है और स्वामी विवेकानंद की उपस्थिति के कारण विशेष महत्व रखता है. अगस्त 1890 में अल्मोड़ा यात्रा के दौरान विवेकानंद यहां ठहरे और एक पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया. मान्यता है कि यहीं उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई और ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों का अनुभव हुआ. शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यह स्थान ध्यान और साधना के लिए आदर्श माना जाता है. आज काकड़ीघाट श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है.

कालीमठ, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक धार्मिक स्थल है. 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह कालीमठ मंदिर भारत के 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. प्रकृति की गोद में बसा कालीमठ स्वास्थ्यवर्धक और दिव्य वातावरण प्रदान करता है. मान्यता के अनुसार, कालीमठ मंदिर में एक चमत्कारी शक्ति विद्यमान है, जो अक्सर श्रद्धालुओं को अपने होने का अहसास कराती है.

कसार देवी मंदिर, अल्मोड़ा के पास स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जिसकी संरचना 2वीं शताब्दी ई.पू. की मानी जाती है. इस स्थान का नाम मंदिर के नाम पर पड़ा. 1890 के दशक में स्वामी विवेकानंद यहां आए थे और बाद में कई विदेशी साधक, जैसे अल्फ्रेड सोरेनसेन और लामा अनागारिक गोविंदा, भी यहां पहुंचे. 1960–70 के दशक में हिप्पी आंदोलन के दौरान यह जगह विश्वभर में लोकप्रिय हुई. मंदिर के पास स्थित क्रैंक रिज आज भी घरेलू और विदेशी पर्यटकों व ट्रेकर्स को आकर्षित करता है. आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मेल यहां देखा जा सकता है.

जोशीमठ में स्थित नरसिंह मंदिर, सप्त बद्री में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और इसे नरसिंह बद्री भी कहा जाता है. मंदिर के देवता भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह रूप हैं, जो आधे सिंह और आधे मनुष्य के स्वरूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी समेटे हुए है. अपनी दिव्यता और अद्भुत मूर्ति के कारण यह मंदिर जोशीमठ आने वाले हर श्रद्धालु के लिए खास आकर्षण बना रहता है. यहां मौजूद रहस्यमय ऊर्जा लोगों को सकारात्मक कर देती है.

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बिनसर से कालीमठ तक…वो जगहें जहां आज भी है चमत्कारी ऊर्जा का अहसास, जानें


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