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बिहार का रहस्यमयी मंदिर, जहां बादल करते हैं महादेव के चरणों को स्पर्श, अध्यात्म और प्रकृति का अद्भुत संगम

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Rohtas Religious Tourism Center: चौरासन मंदिर, रोहतास जिले का एक प्राचीन शिव मंदिर है. जहां 84 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जाता है. राजा हरिश्चंद्र द्वारा यज्ञ के बाद बनवाया गया यह स्थल धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है.

चौरासन मंदिर को रोहितेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है. इसका नाम “चौरासन” (84) उन 84 सीढ़ियों के कारण पड़ा जिन्हें चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जाता है. स्थानीय भाषा में इसे “चौरासना सिद्धि” भी कहा जाता है. ये सीढ़ियां जैसे-जैसे चढ़ते हैं, श्रद्धालुओं को आत्मिक ऊंचाई का अनुभव होने लगता है.

माना जाता है कि यह मंदिर 7वीं सदी ईस्वी में राजा हरिश्चंद्र द्वारा बनवाया गया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार, उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यहां 84 बार यज्ञ किया था. अन्ततः उन्हें पुत्र रोहिताश्व की प्राप्ति हुई, और उन्होंने यज्ञ की राख पर यह मंदिर बनवाया. यही कहानी इस स्थान की अलौकिकता को दर्शाती है.

इतिहास की मार और समय के साथ, मंदिर की छत और मुख्य मंडप अब जर्जर अवस्था में हैं. बताया जाता है कि आक्रांताओं द्वारा इसे नुकसान पहुंचाया गया. बावजूद इसके, यहां शिवभक्तों की आस्था कभी नहीं टूटी. अब प्रशासन द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार की योजनाएं बनाई जा रही हैं.

जब यह मंदिर बादलों की चादर में लिपटा होता है, तो दृश्य इतना मनोरम होता है मानो प्रकृति स्वयं इसका श्रृंगार कर रही हो. श्रद्धालु कहते हैं कि यह स्थान ऐसा प्रतीत होता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो. यह दृश्य न सिर्फ आस्था से भरा होता है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों को भी सम्मोहित कर देता है.

यह मंदिर विशेष रूप से शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है. सावन के महीने और महाशिवरात्रि पर यहां बड़ी संख्या में लोग पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. आसपास के गांवों और झारखंड सहित दूरदराज से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहाँ की गई पूजा शीघ्र फलदायी होती है.

चौरासन मंदिर तक का सफर खुद एक तीर्थ यात्रा जैसा लगता है. रास्ते में बहती कल-कल नदियां, घनी हरियाली, और पहाड़ी चट्टानें इसे और अधिक पवित्र व आकर्षक बनाती हैं. पास ही झरने की ध्वनि वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा भर देती है. यह मंदिर प्रकृति और अध्यात्म का सुंदर संगम है.

चौरासन मंदिर रोहतासगढ़ किला के पास स्थित है, जो रोहतास प्रखंड मुख्यालय से लगभग 2 घंटे की दूरी पर है. निकटतम बस स्टैंड रोहतास, रेलवे स्टेशन सासाराम और हवाई अड्डा पटना है. मंदिर तक पहुंचने के लिए घने जंगल और पहाड़ियों के बीच से गुजरना होता है, जो रोमांच से भरपूर होता है.

अगर इस मंदिर का संरक्षण और प्रचार-प्रसार किया जाए, तो यह न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में बल्कि पर्यटन स्थल के रूप में भी उभर सकता है. यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखते है. यह रोहतास जिले के पर्यटन मानचित्र को नया आकार दे सकता है.

जो भी श्रद्धालु या पर्यटक यहां आता है, वह यहाँ की अलौकिक ऊर्जा और शांत वातावरण को हमेशा याद रखता है. मंदिर की पहाड़ी चढ़ाई, चारों ओर की प्राकृतिक छटा, और भगवान शिव का यह स्वरूप मिलकर एक ऐसा अनुभव प्रदान करते हैं जिसे शब्दों में बयां करना कठिन है. यह स्थल हर दृष्टि से अद्वितीय है.

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बिहार का रहस्यमयी मंदिर, जहां बादल करते हैं महादेव के चरणों को स्पर्श


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