साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आज भाद्रपद पूर्णिमा पर लगने जा रहा है. इस खग्रास चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट 2 सेकेंड है. यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा और उस समय पूर्व भाद्रपद नक्षत्र है. चंद्र ग्रहण के समय में धृति योग बनेगा. इस चंद्र ग्रहण को भारत में देखा जा सकेगा, इस वजह से इसका सूतक काल भी लगेगा. सूतक काल चंद्र ग्रहण के प्रारंभ समय से 9 घंटे पहले ही लगेगा. आइए जानते हैं कि आज चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा? चंद्र ग्रहण के खत्म होने का समय क्या है? चंद्र ग्रहण का सूतक काल कब से है?
चंद्र ग्रहण कितने बजे लगेगा?
आज का चंद्र ग्रहण रात में 09:58 पी एम पर लगेगा. दृक पंचांग के अनुसार, चंद्र ग्रहण का उपच्छाया से पहला स्पर्श रात में 08:59 पी एम पर होगा और प्रच्छाया से पहला स्पर्श रात 09:58 पी एम पर होगा.
चंद्र ग्रहण का खग्रास समय
यह चंद्र ग्रहण एक खग्रास चंद्र ग्रहण है. खग्रास चंद्र ग्रहण का अर्थ होता है कि वो पूर्ण ग्रहण से ज्यादा आसमान के भाग को अधिग्रहीत करता है. खग्रास की शुरूआत रात 11:01 पी एम पर होगी. इसका परमग्रास रात 11:42 पी एम पर होगा. खग्रास का समापन देर रात 12:22 ए एम पर होगा.
चंद्र ग्रहण कितने बजे खत्म होगा?
आज का चंद्र ग्रहण देर रात 01:26 ए एम पर खत्म होगा. चंद्र ग्रहण के प्रच्छाया से अंतिम स्पर्श देर रात 01:26 ए एम पर होगा. चंद्र ग्रहण का उपच्छाया से अंतिम स्पर्श तड़के 02:24 ए एम पर होगा.
चंद्र ग्रहण का सूतक काल आज दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा. सूतक काल का समापन चंद्र ग्रहण के खत्म के साथ होगा. इस तरह से सूतक काल 01:26 ए एम पर खत्म होगा.
सूतक काल में क्या न करें
सूतक काल में शुभ कार्य, भोजन बनाना, भोजन करना, स्नान, दान, सोना, पूजा पाठ आदि सब बंद रहता है. लेकिन सूतक काल के ये नियम बालक, वृद्ध, गर्भवती महिलाओं और अस्वस्थ लोगों पर लागू नहीं होता है. उनको इससे छूट है. बालक, वृद्ध और अस्वस्थ लोगों के लिए सूतक काल शाम 06:36 पी एम से लगेगा.
कहां दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी अफ्रीका, यूरोप में दिखाई देगा. वहीं यह ग्रहण दक्षिणी और उत्तरी अमेरिका में दृश्य नहीं होगा.
चंद्र ग्रहण के बाद क्या करें?
चंद्र ग्रहण के समापन के बाद आप अपने घर और पूजा स्थान की साफ सफाई करें. उसके बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. ग्रहण के समय के कपड़ों को निकालकर साफ कर दें. उसके बाद पूजा करें और भगवान को भोग लगाएं. घर में जो भोजन, दूध, जूस आदि है, उसमें तुलसी के पत्ते डाल दें. उसके बाद ही उनको ग्रहण करें. तुलसी के शुभ प्रभाव से ग्रहण का दुष्प्रभाव मिट जाता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)