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shardiya navratri 2025 These 3 women should not vrat or puja of maa durga on saptami ashtami navami tithi during Navratri | नवरात्रि की महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी तिथि को ना करें ये 3 महिलाएं व्रत और पूजा

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नवरात्रि में तीन महिलाओं को पूजा पाठ या उपवास ना करने की सलाह दी जाती है. ये महिलाएं मानसिक पूजा अर्चना कर सकती हैं लेकिन शारीरिक तौर पर पूजा करना निषेध बताया गया है. ये महिलाएं सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को दीपक जलाना, कन्या पूजन आदि धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हो सकती हैं लेकिन इन कार्यों से बचना चाहिए.

नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को ना करें ये 3 महिलाएं व्रत और पूजा
शारदीय नवरात्रि इस बार 10 दिन के होने वाले हैं क्योंकि इस बार तृतीया तिथि की पूजा दो दिन की जाएगी. साथ ही इस बार माता का आगमन हाथी पर हुआ है और प्रस्थान पालकी पर होने वाला है. वैसे तो नवरात्रि के हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है लेकिन महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी बेहद खास मानी जाती है. इस बार महासप्तमी की पूजा 29 सितंबर, महाअष्टमी की पूजा 30 सितंबर और महानवमी की पूजा 1 अक्टूबर को की जाएगी. सप्तमी, अष्टमी और नवमी – ये तीन दिन माता की विशेष कृपा पाने के लिए सबसे अहम माने जाते हैं. जहां ज्यादातर महिलाएं पूरे नौ दिन व्रत और पूजा करती हैं, वहीं शास्त्रों और परंपराओं में कुछ ऐसी महिलाएं बताई गई हैं जिन्हें इन खास तिथियों पर व्रत और पूजा करने से बचना चाहिए. आइए जानते हैं इन तिथियों पर किन महिलाओं को व्रत और पूजा नहीं करनी चाहिए…

गर्भवती महिलाएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी के दिन व्रत करना गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है. इन दिनों लंबा उपवास उनके और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है. इसलिए उन्हें केवल फलाहार या हल्का प्रसाद ग्रहण करने की सलाह दी जाती है. आप बिना किसी रोक टोक के पूजा अर्चना कर सकती हैं लेकिन व्रत करना मां और बच्चे दोनों के लिए सही नहीं माना जाता.

मासिक धर्म से गुजर रही महिलाएं
धर्मशास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि मासिक धर्म के दौरान किसी भी प्रकार की पूजा-पाठ करना उचित नहीं है. महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी जैसे महत्त्वपूर्ण दिनों पर तो यह विशेष रूप से निषेध बताया गया है. आप मासिक धर्म के दौरान उपवास रख सकते हैं लेकिन शारीरिक तौर पर पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए. मासिक धर्म के दौरान मानसिक जप का विशेष महत्व बताया गया है.

बीमार या कमजोर महिलाएं
अगर कोई महिला पहले से बीमार है या बहुत अधिक कमजोरी महसूस कर रही है, तो उसे इन दिनों व्रत और कठोर पूजा-पद्धति से बचना चाहिए. इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा रहता है. धर्म शास्त्रों में मानसिक पूजा को शारीरिक पूजा से बड़ा बताया गया है. अगर कोई महिला स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान है तो महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी का व्रत और पूजा पाठ करने से बचना चाहिए.

इन तीन श्रेणियों की महिलाएं व्रत ना रखते हुए भी माता की भक्ति कर सकती हैं. वे दीप प्रज्वलित कर, दुर्गा चालीसा का पाठ कर, कन्याओं को भोजन कराकर या दान-पुण्य करके माता रानी का आशीर्वाद पा सकती हैं.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

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नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को ना करें ये 3 महिलाएं व्रत और पूजा


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