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Haldi mehndi in islam : शादी के मौकों पर हल्दी और मेहंदी के रस्में तेजी से फेमस हो रही हैं. मुस्लिम समाज में भी ये आम होती जा रही हैं. हालांकि इससे जुड़ी कई धारणाएं भी देखने को मिलती हैं. जैसे इन रस्मों के दौरान लड़कियों घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे बुरी ताकतें परेशान कर सकती हैं, लेकिन क्या ऐसा सच में होता है. आइये अलीगढ़ के मौलाना से पूरा सच जानते हैं.
अलीगढ़. शादी-ब्याह के मौके पर मुस्लिम समाज में भी कई तरह की रस्में और मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें हल्दी और मेहंदी की रस्म भी शामिल है. खासतौर पर लड़कियों को लेकर यह धारणा बना ली जाती है कि इन रस्मों के दौरान उन्हें घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे जिन्नात या बुरी ताकतों का असर हो सकता है. लेकिन इन मान्यताओं की हकीकत क्या है और इस्लाम इस बारे में क्या कहता है. इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए Bharat.one ने शाही चीफ मुफ्ती ऑफ उत्तर प्रदेश मौलाना चौधरी हुसैन से खास बातचीत की.
इस्लाम से कोई सीधा ताल्लुक नहीं
मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने बताया कि शादी के मौके पर हल्दी या मेहंदी लगाने की रस्म का इस्लाम से कोई सीधा ताल्लुक नहीं है. यह रस्में ज़्यादातर सामाजिक परंपराओं का हिस्सा हैं, न कि इस्लामी शिक्षाओं का. मौलाना हुसैन के मुताबिक, समाज में यह धारणा बना ली गई है कि हल्दी या मेहंदी लगे होने की स्थिति में लड़कियों को घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे जिन्नात या शैतानी ताकतों का असर हो सकता है. इस्लाम में ऐसी किसी भी बात की कोई बुनियाद नहीं है. न तो हल्दी लगाने से और न ही मेहंदी लगाने से किसी तरह की बुरी शक्तियां या जिन्न आकर्षित होते हैं.
क्या गलत, क्या सही
मौलाना के मुताबिक, इस तरह की मान्यताएं महज अंधविश्वास हैं, जिनका इस्लामी अकीदे से कोई संबंध नहीं है. डर और पाबंदी का जो माहौल इन रस्मों के दौरान बनाया जाता है, वह गलत सोच पर आधारित है. इस्लाम इंसान को वहम और अंधविश्वास से दूर रहने की तालीम देता है, न कि बेबुनियाद डर पैदा करने की. मौलाना हुसैन ने बताया कि समाज को चाहिए कि वह धार्मिक और सामाजिक परंपराओं के बीच फर्क समझे और इस तरह के गलत अकीदों से बचते हुए सही इस्लामी नजरिए को अपनाएं.
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Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
