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Prayagraj News: प्रयागराज में गंगा-जमुना संगम के तट पर महर्षि भारद्वाज आश्रम में मौजूद पवित्र कूप आज भी भगवान राम की याद दिलाता है. त्रेता युग में भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां आए थे औ…और पढ़ें
प्रयागराज: भगवान राम की जीवन लीला को महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण और तुलसीदास के श्री रामचरितमानस से जाना जा सकता है. त्रेता युग में जब भगवान राम ने राजगद्दी का त्याग किया और 14 वर्षों के वनवास के लिए निकल पड़े, तब उनके मार्ग में कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बने. अयोध्या से लेकर श्रीलंका तक भगवान राम जहां भी गए और जहां रातें बिताईं, आज भी वहां के लोग उन स्थलों की पूजा करते हैं.
भगवान राम ने किया प्रयागराज संगम का दर्शन और स्नान
त्रेता युग में भगवान राम गंगा-जमुना के संगम प्रयागराज में भी ठहरे. यहां महर्षि भारद्वाज का आश्रम स्थित था, जहां उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर जाने से पहले ज्ञान प्राप्ति और विश्राम किया. आश्रम के पुजारी इंद्रभान गोस्वामी बताते हैं कि इस आश्रम में भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ आए थे और यहां मौजूद कूप (कुएं) में स्नान भी किया था. यह कूप लगभग 100 फीट गहरा है और गंगा जलस्तर के बराबर स्थित है. हजारों वर्ष पुराना यह पवित्र कूप आज भी लोगों को भगवान राम की याद दिलाता है.
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त्रेता युग में भगवान राम गंगा-जमुना के संगम प्रयागराज में भी ठहरे. यहां महर्षि भारद्वाज का आश्रम स्थित था, जहां उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर जाने से पहले ज्ञान प्राप्ति और विश्राम किया. आश्रम के पुजारी इंद्रभान गोस्वामी बताते हैं कि इस आश्रम में भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ आए थे और यहां मौजूद कूप (कुएं) में स्नान भी किया था. यह कूप लगभग 100 फीट गहरा है और गंगा जलस्तर के बराबर स्थित है. हजारों वर्ष पुराना यह पवित्र कूप आज भी लोगों को भगवान राम की याद दिलाता है.
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महर्षि भारद्वाज आश्रम, दुनिया का पहला विश्वविद्यालय
गंगा-जमुना के किनारे स्थित महर्षि भारद्वाज आश्रम को दुनिया का पहला विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. यहां महर्षि अपने 80,000 शिष्यों को ज्ञान प्रदान करते थे. पहले गंगा का जलधारा आश्रम के करीब बहती थी और आश्रम का क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है. आज प्रयागराज विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस आश्रम को एक कॉरिडोर के रूप में विकसित कर दिया गया है, जिससे इसकी सुंदरता और महत्व और बढ़ गया है.
गंगा-जमुना के किनारे स्थित महर्षि भारद्वाज आश्रम को दुनिया का पहला विश्वविद्यालय भी कहा जाता है. यहां महर्षि अपने 80,000 शिष्यों को ज्ञान प्रदान करते थे. पहले गंगा का जलधारा आश्रम के करीब बहती थी और आश्रम का क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है. आज प्रयागराज विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस आश्रम को एक कॉरिडोर के रूप में विकसित कर दिया गया है, जिससे इसकी सुंदरता और महत्व और बढ़ गया है.
आधुनिक युग में भी आकर्षण का केंद्र
अब यह आश्रम न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यटन और ऐतिहासिक दृष्टि से भी प्रयागराज में लोगों को आकर्षित करता है. भगवान राम से जुड़ा यह कूप और आश्रम आज भी अपनी प्राचीनता, पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व के कारण लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है.
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