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Shiv Puran: धन और मोक्ष प्राप्ति के लिए इस तरह करें भगवान शिव की पूजा, शिवपुराण का जानें रहस्य

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Shiv Puran: शिवपुराण में शिवलिंग तीन प्रकार के बताए गए हैं उत्तम, मध्यम और अध चार अंगुली ऊंचा और देखने में सुंदर शिवलिंग जो वेदी से युक्त हो उसे उत्तम कहा गया है. आइए जानते हैं कलयुग में किस तरह भगवान शिव की पू…और पढ़ें

धन और मोक्ष प्राप्ति के लिए इस तरह करें भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव की पूजा

हाइलाइट्स

  • शिवलिंग पूजन से धन और मोक्ष प्राप्त होते हैं.
  • शिवलिंग तीन प्रकार के होते हैं: उत्तम, मध्यम, अधम.
  • दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर शिवलिंग पूजन करें.

Shiv Puran: शिवपुराण में कलियुग में शिवलिंग पूजन को सबसे श्रेष्ठ बताया गया है. सूतजी के अनुसार शिवलिंग भोग और मोक्ष दोनों देने वाला है. यानी शिवलिंग का पूजन व्यक्ति को सांसारिक सुख-सुविधाओं के साथ-साथ मोक्ष भी प्रदान करता है. भगवान शिव कलयुग में प्रत्यक्ष देव हैं जिसके दर्शन मानव को शिवलिंग के रूप में हर रोज होते हैं. आइए जानते हैं कलयुग में किस तरह भगवान शिव की पूजा करने से धन की प्रप्ति होती है.

शिवलिंग के प्रकार
शिवपुराण में शिवलिंग तीन प्रकार के बताए गए हैं: उत्तम, मध्यम और अध चार अंगुली ऊंचा और देखने में सुंदर शिवलिंग जो वेदी से युक्त हो उसे उत्तम कहा गया है. उससे आधा मध्यम और उससे आधा अधम माना गया है.

पूजन का अधिकार और विधि
शिवपुराण के अनुसार, सभी मनुष्यों को शिवलिंग पूजन का अधिकार है. वैदिक मंत्रों आदि से शिवलिंग का पूजन करना लाभकारी होता है. स्त्रियों को भी शिवलिंग पूजन का पूरा अधिकार है. लेकिन, वैदिक पद्धति के अनुसार ही शिवलिंग पूजन श्रेष्ठ माना गया है.

भगवान शिव के कथन के अनुसार वैदिक मार्ग से ही शिवलिंग का पूजन करना चाहिए. इस प्रकार विधिपूर्वक भगवान शंकर का नैवेद्यान्त पूजन करके उनकी त्रिभुवनमयी आठ मूर्तियों का भी वहीं पूजन करे. पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा और यजमान ये भगवान शंकर की आठ मूर्तियां कही गई हैं/ इन मूर्तियों के साथ-साथ शर्व, धव, रुद्र, उय, भीम, ईश्वर, महादेव तथा पशुपति – इन नामों की भी अर्चना करें उसके बाद चन्दन, अक्षत और बेल पत्र लेकर वहां ईशान आदि के क्रम से भगवान शिव के परिवार का उत्तम भक्ति भाव से पूजन करे. ईशान, नंदी, चण्ड महाकाल, भृङ्गी, वृष, स्कन्द, कपर्दीश्वर, सोम और शुक्र- ये दस शिव के परिवार हैं जो ईशान आदि दसों दिशाओं में पूजनीय हैं.

भगवान शिव के समक्ष वीरभद्र का और पीछे कीर्ति मुख का पूजन करके विधि पूर्वक ग्यारह रुद्रों की पूजा करें. इसके बाद पञ्चाक्षर-मन्त्र नम: शिवाय का जप करके शतरुद्रिय स्तोत्र का नाना प्रकार की स्तुतियों का तथा शिवपञ्चाङ्ग का पाठ करें. तत्पश्चात् परिक्रमा और नमस्कार करके शिवलिंग का विसर्जन कर देना चाहिए.

पूजन की दिशा और सामग्री
शिवपुराण के अनुसार दक्षिण दिशा में उत्तराभिमुख होकर बैठना चाहिए और फिर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए. विद्वान् पुरुष को चाहिए कि वह भस्म त्रिपुण्ड्र लगाकर, रुद्राक्ष की माला लेकर तथा बिल्वपत्र का संग्रह करके ही भगवान शंकर की पूजा करें इनके बिना नहीं. भस्म न मिले तो मिट्टी से भी ललाट में त्रिपुण्ड्र अवश्य कर लेना चाहिए.

कलियुग में शिवलिंग पूजन का फल
इस प्रकार कलियुग में शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति को धन, संपत्ति, सुख के साथ-साथ मोक्ष के रास्ते भी खुलते हैं.

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