Home Dharma Som Pradosh Vrat 2025 today in Ayushman yog | Som Pradosh Vrat...

Som Pradosh Vrat 2025 today in Ayushman yog | Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi & Muhurat | सोम प्रदोष व्रत 2025 आज | आयुष्मान योग में सोम प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, पूजा विधि व मुहूर्त, मंत्र और शिवजी की आरती

0


Som Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi & Muhurat Today: आज सोम प्रदोष तिथि का व्रत किया जाएगा, यह व्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जा रहा है. भगवान शिव को समर्पित यह तिथि, जब सोमवार के दिन पड़ती है, तब उसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इसलिए आज का दिन शिवभक्तों के लिए बेहद खास रहने वाला है. साथ ही आयुष्मान योग समेत कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है और ग्रहों का शुभ प्रभाव भी मिलता है. ज्योतिष में कहा गया है कि जब प्रदोष सोमवार के दिन आए, तो उसका फल सामान्य दिनों से कई गुना बढ़ जाता है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व, पूजा विधि, मंत्र और शिवजी की आरती…

सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत को शिवजी और माता पार्वती की विशेष कृपा पाने वाला दिन माना जाता है. कहा जाता है कि यह व्रत जीवन में चल रही अड़चनों को कम करता है और मनोकामनाएं पूरी करता है. जिस तरह से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी तिथि का व्रत किया जाता है, उसी तरह शिवजी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है. जिन दंपतियों के जीवन में तनाव हो, उन्हें आज के दिन शिव–पार्वती का ध्यान करना बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि प्रदोष तिथि का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से धन, करियर, संतानों का सुख और पारिवारिक शांति समेत सभी में शुभ फल मिलता है.

सोम प्रदोष व्रत 2025 आज
त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ – 17 नवंबर, आज सुबह 4 बजकर 47 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन – 18 नवंबर की सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक
उदया तिथि के अनुसार आज सोम प्रदोष व्रत किया जा रहा है.

सोम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 2025
आज प्रदोष काल का समय शाम 5 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. यही समय भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे शुभ माना गया है. इस दौरान पूजा-अर्चना करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है और उनके जीवन से सभी प्रकार के भय, रोग और कष्ट दूर होते हैं.

सोम प्रदोष व्रत 2025 शुभ योग
आज सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग बन रहा है. साथ ही वृश्चिक राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह के होने से त्रिग्रही योग, बुधादित्य योग और आदित्य मंगल समेत कई शुभ योग बन रहे हैं. इन शुभ योग में भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से हर सुख की प्राप्ति होती है, ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी खत्म हो जाता है और शुभ फल मिलता है. सोम प्रदोष व्रत के दिन शिववास भोजन में होने वाला है.

सोम प्रदोष के शुभ मंत्र
शिव पंचाक्षरी मंत्र
ॐ नमः शिवाय

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

ॐ शांभव्यै नमः
ॐ पार्वतीपतये नमः हर हर महादेव शिव शंम्भू

सोम प्रदोष पूजा विधि
आज सोम प्रदोष व्रत को ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें, स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पास के शिवालय में शिवलिंग की पूजा अर्चना करें. साथ ही सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भी शिवलिंग की पूजा होती है. सूर्यास्त से लगभग 30–40 मिनट पहले तैयारी शुरू करें, तिल, घी या सरसों का दीपक जलाना शुभ माना जाता है. शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, सफेद फूल और सफेद चंदन अर्पित करें. दूध + गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें. इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करें और श्रद्धा से शिव तांडव स्तोत्र या शिव चालीसा का पाठ करें. पूजा के अंत में घी के दीपक से आरती करें और प्रसाद सभी में बांट दें.

शिवजी की आरती ‘ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा॥

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version