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अल्मोड़ा की 159 साल पुरानी बाल मिठाई, स्वाद ही नहीं संस्कृति की भी है पहचान; पूर्व PM राजीव गांधी को भी थी पसंद

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Almora Bal Mithai: उत्तराखंड के अल्मोड़ा की बाल मिठाई राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रचलित है, लेकिन क्या आप जानते है कि यह फेमस मिठाई आपको अल्मोड़ा में कहा मिलेगी ,नहीं तो चालिए आज हम आपको बताते है यह फेमस मिठाई खाने के लिए आपको अल्मोड़ा केमू स्टेशन के समीप स्थित खीम सिंह मोहन सिंह की सालों पुरानी दुकान पर आना होगा

अल्मोड़ा उत्तराखंड की वह सांस्कृतिक नगरी है, जहां की “बाल मिठाई” पूरे देश में पहचानी जाती है. इसका इतिहास 1865 से शुरू होता है, जब जोगा लाल शाह ने इसे पहली बार बनाया था. कहा जाता है कि वह फालसीनामा गांव से मलाईदार दूध मंगवाते थे और घंटों धीमी आंच पर पकाकर खोया तैयार करते थे. यही पका हुआ खोया इस मिठाई को चॉकलेट जैसा गहरा रंग देता था. ब्रिटिश भी इसके स्वाद के दीवाने थे और इसे अपने साथ अंग्रेज़ों तक ले जाते थे. इस छोटी पहाड़ी मिठाई ने यहीं से पहचान बनानी शुरू की.

बाल मिठाई बनाना एक patience वाली कला है. पहले फज जैसा बेस तैयार किया जाता है, फिर खसखस को चाशनी में डुबोकर मीठे छोटे दाने बनाए जाते हैं, और सेट हुए फज को इन दानों में रोल कर दिया जाता है. हर स्टेप धीरे-धीरे और बड़े ध्यान से होता है. इस मिठाई में पहाड़ की सादगी और मेहनत का स्वाद महसूस होता है.

अल्मोड़ा की गलियां, पहाड़ी हवा और दुकानों के बाहर रखी बाल मिठाई… यह सब मिलकर एक अलग ही पहाड़ी फील देता है. जो लोग सालों पहले अल्मोड़ा छोड़ चुके हैं, उनके लिए यह मिठाई बचपन की याद, त्योहारों की खुशबू और पुराने घर जैसा अपनापन लेकर आती है. यह सिर्फ मिठाई नहीं, यादों की मीठी डोरी है.

आज के दौर में जहां लोग चॉकलेट्स और modern sweets के पीछे जाते हैं, वहीं यह पारंपरिक बाल मिठाई एक शुद्ध, देसी और भरोसेमंद विकल्प है. यह मिठाई हमें एहसास दिलाती है कि असली स्वाद हमेशा उन्हीं परंपराओं में छिपा होता है, जो पीढ़ियों से बिना बदले चली आ रही हैं.

आज भी अल्मोड़ा में “खीम सिंह मोहन सिंह” की दुकान इस मिठाई के लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है. यहां का स्वाद और purity सालों से एक जैसा बना हुआ है. लोग दूर-दूर से सिर्फ इस मिठाई को original taste में चखने पहुंचते हैं.

भारत के प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने यह मिठाई प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से भेंट के दौरान उन्हें उपहार स्वरूप दी थी. प्रधानमंत्री ने भी मिठाई की काफी तारीफ की. जिसका उन्होंने सोशल मीडिया पर फोटो भी साझा किया था. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को भी अल्मोड़ा की बाल मिठाई पसंद थी. उन्होंने विशेष तौर से अल्मोड़ा से बाल मिठाई को दिल्ली स्थित तीनमूर्ति भवन मंगवाया था.

अल्मोड़ा में बाल मिठाई सिर्फ खाने की चीज़ नहीं, लोगों की भावना और विरासत है. यहां हर घर में इसका नाम सुनते ही बचपन, त्योहार और पहाड़ की महक याद आती है. समय बदला, दुकानें बदलीं, तौर-तरीके modern हुए… पर इस मिठाई का स्वाद और लगाव आज भी उतना ही मजबूत है. यहां लोग मिठाई के साथ पहाड़ की पहचान भी घर लेकर जाते हैं.

यदि आप भी इस प्रसिद्ध बाल मिठाई के स्वाद को चखना चाहते हैं तो आपको अल्मोड़ा केमू स्टेशन के निकट खीम सिंह मोहन सिंह की प्रसिद्ध दुकान तक आना होगा. यहां आपको न केवल मिठाई बल्कि शुद्ध वातावरण के साथ एक अनूठा अनुभव प्रतीत होगा.

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अल्मोड़ा की 159 साल पुरानी बाल मिठाई, पूर्व PM राजीव गांधी को भी थी पसंद


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