नुकीली चीजें हैं खतरनाक
आंख में कैमिकल गिरना
दूसरे मामले आंखों में कैमिकल की वजह से चोट लगने के आते हैं. जैसे चूना का पैकेट अगर बच्चे के हाथ में आ जाए तो वह बच्चों की आंख में गिर जाए. घर में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल्स जैसे टॉयलेट साफ करने वाले सॉल्यूशन, फिनाइल या एसिड आदि आंख में गिर जाए तो उससे आंख घायल हो जाती है.
कई बार स्कूलों की लेबोरेटरीज में तमाम तरह के कैमिकल्स प्रयोगों के लिए रखे होते हैं लेकिन जब ये किसी प्रकार आंखों में गिर जाते हैं तो आंखों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
बच्चों की आंखों में एलर्जी
तीसरी बड़ी चीज है, कई बार बच्चों की आंखों में सामान्य कंजक्टिवाइटिस या आई फ्लू की समस्या हो जाती है. एलर्जी के चलते आंखों में खुजली होती है और बच्चे उन्हें रगड़ते हैं, मसलते हैं या खुजलाते हैं. यह प्रक्रिया ज्यादा होने पर आंखें घायल होने लगती हैं. इतना ही नहीं कई बार आंखों के इलाज के लिए पेरेंट्स बिना डॉक्टर को दिखाए स्टेरॉइड दवाएं भी डालने लगते हैं और लंबे समय तक डालते हैं जिससे आंखों में संक्रमण और घाव होने लगते हैं और कई बार यह अल्सर जैसी खतरनाक बीमारी भी पैदा कर देते हैं या आंख की पुतली को डैमेज कर सकते हैं.
पेरेंट्स को किन चीजों का रखना चाहिए ध्यान
डॉ. राधिका टंडन कहती हैं कि घर में आप जो भी कैमिकल्स इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके प्रति बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है. पेरेंट्स को चाहिए कि अगर घर में छोटे बच्चे हैं तो कैमिकल्स को उनकी पहुंच से दूर रखें. उनके हाथों में कोई भी नुकीली चीज जैसे कैंची, चाकू, नुकीले खिलोने जैसे तीर-कमान आदि न आने पाए क्योंकि बच्चों को इन चीजों की समझ नहीं होती है और अक्सर अस्पतालों में आने वाले केसेज में यही देखने को मिलता है कि वे गलती से इन चीजों को आंख में लगा लेते हैं. वहीं अगर छोटा बच्चा पैन या पेंसिल से पढ़ाई कर रहा है तो उस दौरान विशेष सावधानी बरतें. बच्चों की आंखों को बचाना पेरेंट्स की जिम्मेदारी है क्योंकि इलाज तो बाद में शुरू होता है. अगर इस प्रकार की चोटों को कम किया जा सके तो आंखों की परेशानियां खुद ब खुद कम होने लगेंगी.
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