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हजारीबाग झील का जेल कनेक्शन, रोचक है इसके निर्माण की कहानी, अंग्रेजों ने अनूठी इंजीनियरिंग से सजाया – Jharkhand News

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Hazaribagh Jhil: हजारीबाग की झील को शहर का हृदय स्थल माना जाता है. यह प्रकृति का तोहफा नहीं, बल्कि मानव निर्मित है. 1840 के दशक में अंग्रेजों ने जेल निर्माण के लिए ईंटें बनाने के लिए मिट्टी की खुदाई करवाई थी. खुदाई से बने गहरे गड्ढे में पानी भरने से यह झील बन गई. जिसे बाद में अंग्रेजों ने अपनी अनूठी इंजीनियरिंग से सुंदर पर्यटन स्थल में बदल दिया.

हजारीबाग: बागों के शहर हजारीबाग की खूबसूरती यहां स्थित विशाल झील(हजारीबाग झील) से है. लोग इसे हजारीबाग का हृदय स्थल मानते है. सुबह और शाम के समय झील के किनारे लोगों की भीड़ लगी रहती है. कोई टहलने आता है, कोई बोटिंग करता है, तो कोई सर्दियों की धूप में बैठकर सुकून के पल बिताता है. शाम के समय लोगों की भीड़ लगी रहती है.

ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह झील प्रकृति का तोहफा है, लेकिन सच यह है कि यह झील इंसानों के हाथों बनाई गई है. जानकारी साझा करते हुए स्थानीय पत्रकार मुरारी सिंह बताते है कि अंग्रेजों के समय, 1840 के दशक में हजारीबाग को एक नया जिला बनाया जा रहा था. उस समय अंग्रेज सरकार यहां एक बड़ी और मजबूत जेल बनाना चाहती थी, जिसमें स्वतंत्रता सेनानियों और दूसरे देशों के कैदियों को रखा जा सके.

गड्ढे में पानी जमने से बनी झील
उन्होंने आगे बताया कि जब जेल का निर्माण शुरू हुआ, तो सबसे बड़ी समस्या थी ईंटें कहां से लाई जाएं. इसके लिए अंग्रेजों ने जेल से लगभग 400 मीटर की दूरी पर मिट्टी की खुदाई शुरू करवाई. इसी मिट्टी से ईंटें बनाई गईं और उन्हीं ईंटों से हजारीबाग जेल की दीवारें खड़ी की गईं. पहले इसे सेंट्रल जेल के नाम से जाना जाता था लेकिन अब इसका नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश कारागृह कर दिया गया है. जेल निर्माण के दौरान खुदाई धीरे-धीरे गहरी होती गई और जब काम खत्म हुआ, तो वहां एक बड़ा गड्ढा बन गया. कुछ महीनों बाद उस गड्ढे में पानी भर गया, और यही झील बन गई.

मुरारी सिंह ने आगे बताया कि यह झील असल में एक एक्सीडेंटल झील है. जब अंग्रेजों ने देखा कि यहां पानी इकट्ठा हो रहा है, तो उन्होंने इसे सुंदर झील में बदल दिया. इसके बाद दो बड़ी और पांच छोटी झीलें बनाई गईं. छोटी झीलों का काम था बाहर से आने वाले पानी की मिट्टी को रोकना ताकि साफ पानी बड़ी झीलों में पहुंचे. यह अंग्रेजों की एक अनोखी इंजीनियरिंग थी.

आज यह झील न सिर्फ हजारीबाग की सुंदरता बढ़ाती है, बल्कि सर्दियों में यहां प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में आते हैं. इस झील की वजह से शहर की बायोडायवर्सिटी भी समृद्ध होती है. अंग्रेजों के समय बनी यह झील आज भी हजारीबाग की पहचान और गर्व का हिस्सा है.

Prashun Singh

मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.

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हजारीबाग झील का जेल कनेक्शन, रोचक है इसके निर्माण की कहानी


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