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Hyderabad: हैदराबाद के निज़ाम की खान पान विरासत में फ़ारसी, तुर्की और दक्कनी स्वाद का मिश्रण था. पत्थर का गोश्त, हलीम, जौजी का हलवा और उस्मानिया बिस्किट जैसे व्यंजन आज भी मशहूर हैं.
हैदराबाद: निज़ाम के खानपान की विरासत में फ़ारसी, तुर्की और देसी दक्कन के स्वाद का मिश्रण था. उनके रसोई घर में अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते थे और नए व्यंजन भी विकसित किए जाते थे. निज़ाम के शाही रसोई से निकले कुछ व्यंजन आज भी हैदराबाद के साथ-साथ पूरी दुनिया में पसंद किए जाते हैं.
पत्थर का गोश्त
पत्थर का गोश्त 19वीं सदी में मीर महबूब अली खान के शिकार अभियान के दौरान बनाया गया था. शिकार के दौरान उचित उपकरण नहीं थे, इसलिए एक पत्थर के स्लैब के नीचे आग लगाई गई और जब वह गर्म हो गया तो उसके ऊपर गोश्त पकाया गया. यह गोश्त निज़ाम को बहुत पसंद आया और इसे निज़ाम के रसोई में शामिल कर लिया गया. आज भी हैदराबाद में पत्थर का गोश्त बहुत पसंद किया जाता है.
हलीम
हलीम निज़ाम को बहुत पसंद थी. यह पकवान अरब के सुल्तान द्वारा निज़ाम के रसोई में लाया गया था. हलीम मूल रूप से एक अरबी पकवान है, जिसे निज़ाम महबूब अली खान के शासन के दौरान अरब प्रवासियों द्वारा पेश किया गया था. इसके बाद इसे निज़ाम के रसोई में शामिल कर लिया गया और आज हैदराबाद में हलीम की मांग सबसे ज़्यादा है.
जौजी का हलवा
जौजी का हलवा हैदराबाद में 19वीं सदी की शुरुआत में मुहम्मद हुसैन द्वारा पेश किया गया था, जो एक तुर्की आप्रवासी थे. उन्होंने नामपल्ली में अपनी दुकान खोली थी. उनके बनाए हलवे ने मीर उस्मान अली खान का ध्यान आकर्षित किया, जिन्हें स्वादिष्ट मिठाइयों का शौक था. वे हलवे से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हुसैन की दुकान का नाम तुर्की के राजा हमीद के नाम पर रख दिया.
उस्मानिया बिस्किट
उस्मानिया बिस्किट का शाही परिवार से खास संबंध है. इसे उस्मानिया अस्पताल के शाही रसोई में मरीजों के आहार के रूप में तैयार किया गया था क्योंकि यह खाने में बहुत हल्का होता है. लेकिन उस्मानिया बिस्किट आज पूरे हैदराबाद में और पूरे देश में अपनी पहचान बनाए हुए है और लोग इसे चाय के साथ बहुत पसंद करते हैं.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-nizams-kitchen-was-incomparable-whose-dishes-are-still-loved-by-the-people-of-hyderabad-local18-ws-kl-9214595.html