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औरंगजेब ने फिर से बनवाया था चित्रकूट का ये मंदिर, आया था तोड़ने लेकिन ऐसे बदला मन

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Aurangzeb built temple in chitrakoot : मुगल शासक ने 330 बीघा जमीन और आठ गांवों के लगान को कर मुक्त कर इस मंदिर के अधीन कर दिया था. उर्दू और फारसी में लिखी इबारतों में इसका जिक्र है. 

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हाइलाइट्स

  • औरंगजेब ने चित्रकूट के बालाजी मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया.
  • मंदिर की देखरेख के लिए 330 बीघा जमीन दान में दी.
  • महामारी और चमत्कार से प्रभावित होकर मंदिर तोड़ने का इरादा छोड़ा.

चित्रकूट. मुगल शासक औरंगजेब को मंदिरों के विध्वंसक के रूप में जाना जाता है, लेकिन चित्रकूट का बालाजी मंदिर उसके बारे में एक अलग कहानी कहता है. कहा जाता है कि 1683 से 1686 के बीच इस मंदिर का निर्माण खुद औरंगजेब ने करवाया था. स्थानीय लोगों के अनुसार, मुगल शासक ने 330 बीघा जमीन और आठ गांवों के लगान को कर मुक्त कर इस मंदिर के अधीन कर दिया था. इतना ही नहीं, उर्दू और फारसी में लिखी इबारतों में ये भी उल्लेख है कि ठाकुर जी के भोग के लिए राजकोष से हर दिन एक चांदी का सिक्का दान में दिया जाएगा.

महामारी बनी बाधा

चित्रकूट के रामघाट पर स्थित बालाजी मंदिर के पास भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि औरंगजेब अपनी सेना के साथ इस मंदिर को नष्ट करने के इरादे से आया था. सैनिकों ने मंदिर की दीवारों को तोड़ने की कोशिश की लेकिन जब उन्होंने शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश की तो वो असफल रहा. कहा जाता है कि इसी दौरान मुगल सेना में एक भयानक महामारी फैल गई. सैनिकों को तेज दस्त और बीमारियों ने जकड़ लिया. इसके बाद भी औरंगजेब ने हार नहीं मानी. उसने बालक दास के हाथ में रखी ठाकुर जी की मूर्ति को तोड़ने को प्रयास किया. इससे उसकी और उसकी सेना की हालात और खराब हो गई. हार मानकर औरंगजेब ने स्थानीय लोगों से इसका कारण पूछा. लोगों ने उसे संत बालकदास के पास जाने की सलाह दी.

चमत्कार से पलटा इतिहास

औरंगजेब संत बालकदास के पास पहुंचा और अपनी परेशानी बताई. संत ने हवनकुंड से भभूति निकालकर दी और उसे सैनिकों के बीच छिड़कने को कहा. आश्चर्यजनक रूप से, ऐसा करते ही सभी सैनिक स्वस्थ हो गए. इस चमत्कार से प्रभावित होकर औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ने का इरादा छोड़ दिया और इसके पुनर्निर्माण का आदेश दिया. साथ ही, मंदिर की देखरेख के लिए 330 बीघा जमीन दान में दी, जो आज भी बालाजी मंदिर के नाम पर दर्ज है. मंदिर अब दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

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औरंगजेब ने फिर से बनवाया था ये मंदिर, आया था तोड़ने लेकिन ऐसे बदला मन


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